कुछ चुनी हुई पंक्तियाँ
एक सुमन कि चाह में बोलो भला क्यों ,
एक पूरी वाटिका वीरान कर दूं
................................क्यों विरह के दाह को सहता रहूँ जब ,
स्रष्टि सारी कर रही परवाह मेरी
एक मिलन की खातिर तुमने देखो तो ,
कैसी कैसी चीज़ों का बलिदान लिया
..........................................एक जीवन क़र्ज़ हैं जिस पर हज़ारों
किस तरह केवल तुम्हें उपहार दूं
..................................................................क्रिशनाधार मिश्र
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