मंगलवार, 6 जुलाई 2010

पंथाभिसार

तुम बिखर जाना हमारी राह मैं बन चांदनी,
तो सुमन खिल जाऐगा
फिर खुद बहार जायेगी

दीप लेकर साथ आओ तुम
नहीं ये चाहता मैं ,
सिर्फ राहों की दिशा का ज्ञान दे देना ,
राह के संकट बटाओ तुम,
नहीं ये चाहता मैं,
सिर्फ चलने का मुझे वरदान दे देना
राह की ठोकर करे अपमान ,
जब मेरे पगों का
मैं कहता तुम उन्हें सम्मान दे देना ,
जब निराशा के अंधेरे
घिर कर मुझको सताएँ ,
याद आकर बस किरन-मुस्कान दे देना

तुम निखर आना हमारी आह में वन रागिनी ,
तो तपन मिट जायेगी ,
फिर खुद फुहार जायेगी

..............................................क्रिशनाधार मिस्र

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