शनिवार, 10 जुलाई 2010

ARVIND MISRA

विजय नाद


कंपकपाते  गालों से 
होठों में गोलाई लाकर
सम्पूर्ण श्वासों  का
बल  लगाकर
तुमने
जो विजयनाद किया

वोह
वैसा ही खोकला था
जैसे
तुम्हारे होंठों से लगा 
शंख .
यह तुम 
अछी तरह जानते हो
और जानता है 
शंख भी .

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