शनिवार, 3 जुलाई 2010

ये सिन्दूरी छितिज पशचिमी , ये सोये-सोये बादल ,
रंगों के दानी बन बैठे छूकर तेरा अरुणाचल .

शाहजहांपुर जनपद के वरिष्ट एवं हमसब के मित्र कवि " क्रिशनाधार मिश्र " कि पुस्तक


" विरंदावन सारा " { काव्य संग्रह }


प्रथम संस्करण २००५

1 टिप्पणी:

  1. गर चापलूस होते तो पुर -खलूस होते ,
    चलते न यूँ अकेले पूरे जुलूस होते .



    ................अजय गुप्ता

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