सोमवार, 6 अप्रैल 2015

ब्रजेश कुमार पाण्डे एडवोकेट

मैं  उनसठ का

प्रकाशक  NANI PALKIWALA LAW FOUNDATION

 SHAHJAHANPUR    मूल्य । १०० /-

प्रथम संस्करण  जनवरी २०१५


अब उनसठ का हुआ मैं  पूरा,
फ़र्ज़  हुए सब पूरे । 
स्वप्न हो गए सारे पूरे,
रहे न कोई अधूरे ।   
अब बस यही कामना प्रभु से,
जनहित में लग  जाऊँ   ।।
सेवा करूँ  ,बार, की पूरी,
उसका मान बढ़ाऊँ ।।



पाण्डे जी की छोटी सी काव्य संग्रह  एक  निराले रंग की रचनाओं का संग्रह है

जो जनपद और देश के जाने माने लोगों के बारे में उनके विचार व्यक्त करता है तथा कविता का पहला अछर उस ही
व्यक्ति के नाम का हिस्सा है

भाषा पर उनकी पकड़ ग़ज़ब की है 

वह केवल " बार " की ही सेवा में नहीं लगे हैं " बार " के बाहर भी वह सब की सहायता करें में विश्वास करते हैं 
 

गुरुवार, 29 जनवरी 2015

सरोज कुमार मिस्र


भँवरा गुनगुन कर रहा,
कोयल गाये गीत।
लो वे क्षण भी आ गये,
जो थे आशातीत।।
2
बासन्ती मौसम हुआ,
पोर पोर में पीर।
रति की सूनी सेज पर 
चुभें काम के तीर।।
3
सरसों ने धरती रंगी,
पीली चूनर डाल।
देखा देखी लाल है,
फूलो के भी गाल।।
4
आहट फागुन की सुनी,
मन के मिटे मलाल।
भर भर मुटठी प्रिय मलो,
मुख पर लाल गुलाल।।
सरोज मिश्र

रविवार, 4 जनवरी 2015

बसती

ये चंद लोग जो बस्ती में सब से अच्छे हैं
इन्हीं का हाथ है मुझ को बुरा बनाने में


तेरी निगाह करम हम पे कुछ ज़्यादा है
ज़माने तू ही बता  क्या तेरा इरादा है


कब की मरहूम हुई ज़िंदा दिली पर हम ने,
हंस के अकसर दिले ज़िंदा का भ्रम रखा है

बाहर से तो पहले की तरह अब हूँ सालिम,
लेकिन मेरे अंदर से  कोई टूट रहा है

महसूस दूसरों को न होने दिया कभी,
दुख अपना झेलते हैं बहुत खुशदिली से हम । 

चेहरे पे आँसुओं ने लिखी हैं कहानियाँ 
कआइना देखने का मुझे हौसला  नहीं    


आदमी तो मिले ज़िंदगी में बहुत
दिल  तड़पता रहा आदमी के लिए । 

जो पराए हैं उन अपनों को बहुत याद किया
दिल ने टूटे हुए रिश्तों  को बहुत याद किया