मुझको न जला पाई ज्वाला डूबा न कभी में पानी में ,
अंगारों से श्रृंगार किया फूलों से खिकी जवानी में .
में कहता हूँ वोह मरा राष्ट्र ,जिसका उज्जवल इतिहास नहीं ,
वोह जीना क्या जाने जिसको मर-मिटने का अभ्यास नहीं .
किन्तु मैंने कुछ न की परवाह इसकी ,
शुद्ध कवि ने धर्म का पालन किया .
रौशनी को रौशनी , तम को कहा तम ,
चेतना की ज्योति का वंदन किया है .
जब त्याग्मई साधना जवानी में पलती ,
तब कहीं विवेकानंद एक बन पाता है.
Mai Likh Na saka Kuch Bhi Rasalo ke baste
जवाब देंहटाएंUttar na ban saka mai sawalo ke baste
Kali Sayaha raat jab aayegi mulk par
meri talash hogi ujaloo ke baste
I proud Vidrohi ji
Mai Likh Na saka Kuch Bhi Rasalo ke baste
जवाब देंहटाएंUttar na ban saka mai sawalo ke baste
Kali Sayaha raat jab aayegi mulk par
meri talash hogi ujaloo ke baste
I proud Vidrohi ji