आँसू
बहते हुए
आंसुओं की
गालों पर
बनती लकीर सूखने दो ,
आँख का सारा खारापन
अपने गालों पर जमने दो .
जानते हो ?
समुद्र का खारा पानी
उन मछलिओन के
आंसुओं का ही तो है ,
जिन्हें बड़ी मछली निगल लती है.
और वो , जब जब नमक बनकर
तुम्हारे पेट से आँख तक
और आँख से गालों पर
लकीर छोड़ता है , तो
न जाने क्यों मुझे लगता है .....
पूरा का पूरा समुद्र
तुम्हरी आँखों मे है ,
जिसमे बहुत कुछ डूबा हुआ है ,
परन्तु उस डूबे हुए से ,
तुम्हारा परिचय नहीं है.
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