समंदर हूँ मुझे रुसवा न करना ,
मेरी वुसअत का तुम सौदा न करना.
येही पाकीज़गी की है निशानी ,
तुम इस पोशाक को मैला न करना
मुझे तन्हाइयां रास आ गई हैं ,
मेरे बारे मैं अब सोचा न करना .
उजाला हर वर्क पर लिख रहा हूँ ,
तुम इनको भूलकर काला न करना .
मेरे अहबाब ने सीखा है किस्से ,
ज़रा सी बात को अफसाना करना .
दरख्तों से कोई कहता है "अख्तर"
मुसाफिर हूँ मेरा पीछा न करना
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