शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

KRISHNAADHAAR MISHRA

अभी यादों के हैं मधुवन ,
अभी वादों के साए हैं.
अभी ही तो मिलन के छंद ,
मैं ने गुनगुनाये हैं .

अभी कैसे विरह के दर्द वाले गीत गाऊं मैं ,
अभी कैसे निराशा से भरे आंसू बहाऊं मैं .

....................क्रिश्नाधार मिस्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें