रविवार, 13 अक्तूबर 2013

SAAROJ KUMAR MISHRA

दो आँखों के मिल जाने से 
कोई मीत नही बन जाता ,
सरगम कह देने से यारो 
कोई संगीत नही बन जाता ,
दीवारे बेशक सूनी हो पर 
दिल में तस्वीर जरूरी हे ,
कागज कलम अछरो से ही 
कोई गीत नही बन जात। 
सरोज कुमार मिश्र



क्या राजे ,क्या महराजे अपनी घर घर शोहरत है
मधुवन पतझर चन्दा तारे , ये सब मेरी बदोलत है 
तुमको जिसदिन लगे जरुरत आना ,सब कुछ ले जाना 
एक कलम कुछ कोरे पन्ने ,बस कवि कि इतनी दौलत है ----------सरोज मिश्र -------

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