बुधवार, 22 सितंबर 2010

होल्डिंग




पहले पहले मैं ने चहरे देखे ,
फिर उन्हें पढ़ा ,
फिर उन्हें समझा ,
फिर उनके बारे मैं जाना ,
या तो श्रधा की ,
या कुछ नहीं
सबकी आप के बारे मैं
येही तो सोच है.
सब सोच रहे हैं,
की ज़िन्दगी
एक बाधा -दौड़ है ,

आप गिरे ,
चलो लगा ---
एक खम्बा और गिरा ,
बाधा-दौड़ का .
उम्र बीतती है ,
खम्बे गिरते हैं
कुछ खम्बे ,
फिर कोई उठाकर
दुबारा सड़क पर लगा दे गा .
दिशा-निर्देश के होल्डिंग्स की तरह ,
बगैर ये जाने की आप
कब , कहाँ और क्यों
कैसे-कैसे गिरे .
                          ARVIND MISHRA  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें