कुंवारे गीत
अडिग
यौवन द्वारा , यौवन के लिए , यौवन के गीत
स्नेह पोच्केट बुक्स , शाहजहांपुर वर्ष १९७८ मूल्य ३/-
प्रीत कंवारी है तुम्हारी ,
गीत कुंवारे हैं हमारे ,
इस तरह मिलते रहेंगे ,
हम सदा संध्या सकारे,
सुख जन्म की वीथिका में ,
या कभी आँगन द्वारे .
नींद कुंवारी है तुम्हारी ,
स्वप्न कुंवारे हैं हमारे .
हम कभी तो व्यस्तता में ,
स्रष्टि का विशवास हारे .
औ कभी हम मुघ्दता से,
छल रहे श्रींगार धारे .
कामना कुवारी तुम्हारी ,
भाव कुंवारे हमारे.
डूबकर भी झांकते क्यों ?
हैं नदी में सुख सितारे ?
क्यों छिपा पाता नहीं मन ,
प्यार के अविरल उजारे ?
देह सरि कुवारी तुम्हारी
तीर कुवारे हमारे
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