अडिग को जनपद विभूति अवार्ड
शाहजहांपुर फेस्टिवल - २०१० का पुरूस्कार वितरण के साथ समापन
साहित्य के छेत्र के ओमप्रकाश " अडिग" को जनपद
विभूति - २०१० से अलिंक्रित किया गया
शायद अब ठण्ड पडे
पेड़ों ने दाल दिए फूल,
पात के दुकूल,
शायद अब ठण्ड पडे!!
साफ़ लगा होने,
है नीला आकाश,
पर्त लगी माटी की,
सागर के पास!!
बैठ रही नीचे है धूल!
शायद अब ठण्ड पडे!!
आया है श्वेत खगो का ,
पहला झुण्ड,
संध्या के माथे पर,
चाँद का त्रिपुंड,
तीखे कुछ और हुए शूल,
शायद अब ठण्ड पडे!!
कौन सके संख्याएँ ,
तारों की गिन !
छोटे आरम्भ हुए-
होने हैं दिन !!
दोहराने प्यार लगा भूल,
शायद अब ठण्ड पडे !!
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