रूपशूलिता
बहुत बार चाहा , में शूलों का दर्द कहूं
किन्तु एक रूप उतर आता है गीतों में.
जब भी में आया हूँ फूलों के मधुबन में ,
शूलों से भी मैंने रूककर बातें की हैं .,
फूलों ने अगर दिए मकरंदित स्वप्न मधुर ,
शूलों ने भी मुझको दुःख की रातें दी हैं.
बहुत बार चाहा दुःख सहकर भी मौन रहूँ ,
वरवास एक रूप गुनगुनाता है गीतों में,
मेरे मन पर यदि है जादू मुस्कानों का ,
आँसू की भाषा भी जानी पहचानी है ,
एक अगर राधा है ब्रज के मनमोहन की ,
दूजी तो घायल यह मीरा देवानी है.
बहुत बार चाहा है आँसू के साथ बहूँ ,
किन्तु एक रूप मुस्कराता है गीतों में.
क्रिश्नाधार मिश्र
बहुत बार चाहा , में शूलों का दर्द कहूं
किन्तु एक रूप उतर आता है गीतों में.
जब भी में आया हूँ फूलों के मधुबन में ,
शूलों से भी मैंने रूककर बातें की हैं .,
फूलों ने अगर दिए मकरंदित स्वप्न मधुर ,
शूलों ने भी मुझको दुःख की रातें दी हैं.
बहुत बार चाहा दुःख सहकर भी मौन रहूँ ,
वरवास एक रूप गुनगुनाता है गीतों में,
मेरे मन पर यदि है जादू मुस्कानों का ,
आँसू की भाषा भी जानी पहचानी है ,
एक अगर राधा है ब्रज के मनमोहन की ,
दूजी तो घायल यह मीरा देवानी है.
बहुत बार चाहा है आँसू के साथ बहूँ ,
किन्तु एक रूप मुस्कराता है गीतों में.
क्रिश्नाधार मिश्र
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