कला ---- अनुभूति से ,
अभिव्यक्ति का सफ़र है .
होगा हमें क्या ?
अंतर केवल इतना है कि
मिटटी नदी मैं मिलती है और
मैं कहता हूँ कि
नदी मिटटी मैं मिलती है .
होगा
तुम्हें क्या ?
न अनुभूति कि कोई अभिव्यक्ति हो ,
न अभिव्यक्ति कोई अनुभूति ले सके .
हो गा हमें तुम्हें क्या ?
पढ़ तो ली ...
जवाब देंहटाएंपर क्या समझ आया
तुम्हे क्या ?
भाई इस नाचीज हमनाम पर रहम करियेगा !
जवाब देंहटाएं