इस जनपद का हिंदी साहित्य मैं भी योगदान रहा है . यह केवल शहीद नगरी ही नहीं है. हमारा यह प्रयत्न हो गा की जनपद शाहजहांपुर के इस योगदान को उजागर करैं.
गुरुवार, 2 सितंबर 2010
AKHTAR SHAHJAHANPURI
मुझे जिंदगी का पता दे गया ,वो हाथों मैं बुझता दिया दे गया .
कोई अक्स जिसमें उभरता न था ,वो उस आइने को जिला दे गया.
मरी खाक तो इतनी नाम भी न थी ,मगर वो तो पैकर नया दे गया
परिंदा फिजा मैं जो गुम हो गया ,मेरी फ़िक्र को रास्ता दे गया .
मैं अब खून का किस पे दावा करूँ ,की जब वो मुझे खून-बहा दे गया .
ज़मीं पर बुलंदी से आना तेरा ,तेरी अजमतों का पता दे गया.
मेरे दिल पे "अख्तर''न दस्तक हुई,सदा देने वाला सदा दे गया.
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