दो आँखों के मिल जाने से
कोई मीत नही बन जाता ,
सरगम कह देने से यारो
कोई संगीत नही बन जाता ,
दीवारे बेशक सूनी हो पर
दिल में तस्वीर जरूरी हे ,
कागज कलम अछरो से ही
कोई गीत नही बन जात।
सरोज कुमार मिश्र
क्या राजे ,क्या महराजे अपनी घर घर शोहरत है
मधुवन पतझर चन्दा तारे , ये सब मेरी बदोलत है
तुमको जिसदिन लगे जरुरत आना ,सब कुछ ले जाना
एक कलम कुछ कोरे पन्ने ,बस कवि कि इतनी दौलत है ----------सरोज मिश्र -------
कोई मीत नही बन जाता ,
सरगम कह देने से यारो
कोई संगीत नही बन जाता ,
दीवारे बेशक सूनी हो पर
दिल में तस्वीर जरूरी हे ,
कागज कलम अछरो से ही
कोई गीत नही बन जात।
सरोज कुमार मिश्र
क्या राजे ,क्या महराजे अपनी घर घर शोहरत है
मधुवन पतझर चन्दा तारे , ये सब मेरी बदोलत है
तुमको जिसदिन लगे जरुरत आना ,सब कुछ ले जाना
एक कलम कुछ कोरे पन्ने ,बस कवि कि इतनी दौलत है ----------सरोज मिश्र -------
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