गुरुवार, 29 जनवरी 2015

सरोज कुमार मिस्र


भँवरा गुनगुन कर रहा,
कोयल गाये गीत।
लो वे क्षण भी आ गये,
जो थे आशातीत।।
2
बासन्ती मौसम हुआ,
पोर पोर में पीर।
रति की सूनी सेज पर 
चुभें काम के तीर।।
3
सरसों ने धरती रंगी,
पीली चूनर डाल।
देखा देखी लाल है,
फूलो के भी गाल।।
4
आहट फागुन की सुनी,
मन के मिटे मलाल।
भर भर मुटठी प्रिय मलो,
मुख पर लाल गुलाल।।
सरोज मिश्र

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